मधुमेह होने के कारण लक्षण 8, और इसके उपाय,Causes, symptoms and remedies of diabetes

Causes symptoms and remedies of diabetes

 

Causes symptoms and remedies of diabetes

 Causes, symptoms and remedies of diabetes

डायबिटीज क्या है

आप इस पोस्ट में जानेंगे what is Causes symptoms and remedies of diabetes,यह एक मेटाबोलिज्म डिजीज है, जिसमें ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। ये कई तरह की हो सकती हैं। इनमें टाइप 1, टाइप 2, गर्भावधि मधुमेह , लेटेन्ट ऑटोइम्यून डायबिटीज इन एडल्ट नवजात शिशु में मधुमेह (Child Diabetes) आदि हैं। मधुमेह के ज्यादातर रूप आजीवन होते हैं। इन सभी रूपों को दवाओं और जीवनशैली में परिवर्तन के से ठीक किया जा सकता है।

दोनों डायबिटीज के लक्षण

हालांकि टाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह के लक्षणों में बहुत कुछ समानता है। जिस तरह से यह रोग खुद को प्रस्तुत करता है वह भी एक समान है, टाइप -1 और टाइप -2 मधुमेह के बीच का अंतर गहरा है। उन्हें अलग अलग प्रबंधन की आवश्यकता होती है और इसमें विभिन्न जोखिम कारक और उपचार विकल्प शामिल होते हैं।

डायबिटीज : कारण

डायबिटीज या मधुमेह क्यों होता है इसके मुख्य कारण

1 हाई ब्लड ग्लूकोज (High Blood Glucose)

ग्लूकोज को ब्लड फ्लो के जरिये अपनी पूरी बॉडी में पहुंचने के लिए इंसुलिन हार्मोन की जरूरत पड़ती है। यदि अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है या शरीर इसका ठीक से उपयोग नहीं करता है, तो ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है। इससे हाई ब्लड ग्लूकोज यानी हाइपरग्लाइसीमिया (Hyperglycemia) होता है। समय के साथ लगातार हाई ब्लड ग्लूकोज होने से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे- हृदय रोग, तंत्रिका क्षति और आंखों की समस्याएं।

2 हार्मोनल का असंतुलन (Hormonal Imbalance) 

यह प्रेगनेंसी के दौरान होता है। यह आमतौर पर प्रेगनेंसी के बाद चली जाती है। अगर गर्भकालीन मधुमेह है, तो जीवन में बाद में टाइप 2 मधुमेह होने का अधिक खतरा होता है।

Type 3

जब पैनक्रियाज ऑटोइम्यून डैमेज का अनुभव करता है। यह इंसुलिन के उत्पादन की क्षमता को प्रभावित करता है। पैनक्रियाज कैंसर, सिस्टिक फाइब्रोसिस और हेमोक्रोमैटोसिस सभी पैनक्रियाज को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जो मधुमेह का कारण बनता है। पैनक्रियाज को हटाने पर टाइप 3 सी होता है।

युवाओं में अव्यक्त ऑटोइम्यून मधुमेह (LADA):

टाइप 1 मधुमेह की तरह यह भी एक ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया का परिणाम होता है। यह टाइप 1 की तुलना में बहुत धीरे-धीरे विकसित होता है। आमतौर पर यह 30 वर्ष से अधिक आयु के होते हैं।

Neonatal diabetes

यह मधुमेह का एक दुर्लभ रूप है, जो जीवन के पहले छह महीनों के भीतर होता है। यह मोनोजेनिक मधुमेह का भी एक रूप है। नवजात मधुमेह वाले लगभग 50% शिशुओं में आजीवन मधुमेह का रूप होता है, जिसे स्थायी नवजात मधुमेह कहा जाता है। अन्य आधे में शुरुआत के कुछ महीनों के भीतर यह गायब हो जाता है। बाद में जीवन में यह वापस आ सकता है। इसे ट्रांसिएंट नियोनेटल डायबिटीज मेलिटस कहा जाता है।

डायबिटीज में होने वाले कॉम्प्लिकेशंस (Diabetes Complications)

मधुमेह कई लम्बी स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। यह मुख्य रूप से अत्यधिक या लंबे समय तक हाई ब्लड शुगर लेवल के कारण हो सकता है।

हाइपरस्मोलर हाइपरग्लाइसेमिक अवस्था (HHS ): यह जटिलता मुख्य रूप से टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों को प्रभावित करती है। यह तब होता है जब रक्त शर्करा का स्तर बहुत अधिक 600 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर या मिलीग्राम से अधिक होता है। इससे गंभीर डिहाइड्रेशन हो सकती है।

कीटोएसिडोसिस (Ketoacidosis): यह जटिलता मुख्य रूप से टाइप 1 मधुमेह वाले लोगों को प्रभावित करती है। यह तब होता है जब शरीर में पर्याप्त इंसुलिन नहीं होता है। यदि शरीर में इंसुलिन नहीं है, तो यह ऊर्जा के लिए ग्लूकोज का उपयोग नहीं कर सकता है। इसलिए यह वसा को तोड़ने लगता है। यह प्रक्रिया कीटोन्स नामक पदार्थ छोड़ती है, जो रक्त को अम्लीय बना देता है। इससे सांस लेने में तकलीफ, उल्टी और अनकॉनशसनेस होती है।

निम्न रक्त शर्करा (Hypo Glycemia): जब ब्लड शुगर लेवल सीमा से नीचे चला जाता है, तो हाइपोग्लाइसीमिया हो जाता है। गंभीर हाइपोग्लाइसीमिया बहुत कम रक्त शर्करा है। यह मुख्य रूप से मधुमेह वाले लोगों को प्रभावित करता है, जो इंसुलिन का उपयोग करते हैं। धुंधली दृष्टि या डबल विजन, दौरे पड़ना और अन्य मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम इसके कारण हो सकती हैं।

लंबे समय तक डायबिटीज की जटिलता (Chronic Diabetes Complications)

है। यह मुख्य रूप से रक्त वाहिकाओं, ऊतकों और तंत्रिकाओं का नुकसान करता है। इसके कारण कार्डियोवास्कुलर डिजीज का जोखिम सबसे अधिक होता है। इसके कारण दिल का दौरा, स्ट्रोक, एथेरोस्क्लेरोसिस हो सकता है। हाई ब्लड ग्लूकोज लेवल के कारण किडनी फेलियर, रेटिनोपैथी, पैर की नसों में प्रॉब्लम, बहरापन, पेरिओडोंटल डिजीज और त्वचा में संक्रमण हो सकता है।

डायबिटीज : लक्षण

1.प्यास के कारण मुंह सूखना=डायबिटीज केपेशट की

यह पहचान है कि उसका मुंह बार-बार सूखता है, यानी उसको प्यास लगने का एहसास बार-बार होता है मुंह में लार का बनना कम हो जाता है

2.जल्दी-जल्दी पेशाब आना=शुगर के पेशेंट को यूरिन बार-बार आने की परेशानी होती है,उसे नॉर्मल इंसान से ज्यादा यूरिन की प्रॉब्लम होती है,या नहीं उस बार-बार टॉयलेट करने के लिए जाना पड़ता है

3.लगातार थकान महसूस होना=शुगर के पेशेंट को थोड़ासा काम करने पर भी हद से ज्यादाथा थकान महसूस होती है,वह नॉर्मल इंसान की जैसे काम नहीं कर पता है

4.दृष्टि का धुंधला होना या ब्लर विजन=शुगर के पेशेंट को जल्दी कम दिखाना शुरू होता है यानी कि नॉर्मल इंसान से जल्दी उसकी आईसाइट वीक होने के चांसेस होते हैं

5.अचानक वजन घटना या बढ़ जाना=कई शुगर केपेशेंट ऐसेहोते हैं जिनका बेवजह हद से ज्यादा वजन बढ़ता है,इसके उल्टा कई पेशेंट ऐसे होते जिनका वजन लगातार कम होता रहता है।

6.हाथों या पैरों में सुन्नपन या झुनझुनी=हाथ पैरों में सुन होने लगती है या हदसे ज्यादा झनझनाहट होने की शिकायत होती है।

7.घावों या कटने पर उनके ठीक होने में अधिक समय लगना=शुगर के पेशेंट को कहीं पर भी चोट लगने पर उसका घाव जल्दी ठीक नहीं होता, क्योंकि उसकी ऑटो हील प्रक्रिया बिलकुल जीरो हो जाती है ,उसके ब्लड का थक्का नहीं बनता  वजह सेकाु कई बार गाव में हो रहे ब्लू रिसाव भी नहीं रुकता

8.योनि में यीस्ट इन्फेक्शन होना=महिलाओं में डायबिटीज की प्रॉब्लम होने की वजह से उनकी योनि में यीस्ट इनफेक्शन जैसी भयंकर प्रॉब्लम होने के चांसेस होते हैं।

डायबिटीज : निदान

डायबिटीज का निदान करने के लिए फास्टिंग में ब्लड शुगर परीक्षण किया जा सकता है। रात का खाना खाने के बाद सुबह कुछ नहीं खाएं। फास्टिंग के दौरान ब्लड शुगर लेवल मापा जाता है। फास्टिंग के दौरान ब्लड शुगर लेवल 99 मिलीग्राम/डीएल या उससे कम है, तो यह सामान्य है। यदि ब्लड शुगर लेवल 100 से 125 मिलीग्राम/डीएल है, तो यह इंगित करता है कि आपको प्रीडायबिटीज है। यदि यह लेवल 126 मिलीग्राम/डीएल या इससे अधिक है, तो यह इंगित करता है कि आपको डायबिटीज है।

डायबिटीज : उपचार

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डायबिटीज एक ऐसी परेशानी है जिस डॉक्टर की दवाई के साथ-साथ कुछ रूटीन चेंज करके भी काफी हद तक ठीक किया जा सकता है तो हम इसके बारे में बात करते हैं

1. जल्दी सोना जल्दी उठना=डायबिटीज के पेसेंट को डेरा तक नहीं जाना चाहिए और सुबह देर तक सोना भी नहीं चाहिए क्योंकि इसका की बॉडी पर या उसकी रो प्रतिरोधक क्षमता पे गलत असर पड़ता है इसलिए भरपूर नींद ले लेकिन रात को समय से सोए सुबह जल्दी उठने की कोशिश करें

2. फाइबर युक्त भोजन करें=डायबिटीज के पेशेंट को ज्यादा कब्ज नहीं खाना चाहिए क्योंकि उसकी वजह से उसका शुगर लेवल बढ़ता है इसको कंट्रोल में करने के लिए डायबिटीज के पेशेंट को फाइबर युक्त खाना खाना चाहिए जिसमें साबूत अनाज हो गए हरि रेशेदार सब्जियां हो गई अंकुरित अनाज चोकर युक्त आता आदि जो उसके शुगर लेवल को कंट्रोल करने में साथी डाइजेस्टिव सिस्टम को अच्छा करने में काफी हद तक फायदेमंद सिद्ध होता है

3. नियमित योग करें=डायबिटीज के पेशेंट को नियमित योगासन जिसमें मंडूकासन ,अविलोम -विलोम ,प्राणायाम, कपालभाति ,सूर्य नमस्कार आदि कुछ योग है जो उसके हेल्थ के लिए या डाइजेस्टिव सिस्टम के लिए साथी शुगर को मेंटेन रखने के लिए काफी हद तक फायदेमंद सिद्ध हो सकते हैं

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4. नियमित भृमण करें=प्रातः काल जल्दी उठकर कम से कम आधे घंटे का मॉर्निंग वॉक जरूर करें जिससे सुबह के ताजा हवा पेशेंट के लिए बहुत ही फायदेमंद सिद्ध होती है क्योंकि सुबह की हवा में ऑक्सीजन की मात्रा अच्छी होती है साथी पॉल्यूशन काम होता है जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है

FAQ

1.मधुमेह के 10 चेतावनी संकेत क्या है?

अत्यधिक भूख लगना, अचानक वजन कम होना, हाथों या पैरों में झुनझुनी, थकावट, कमजोरी, शुष्क त्वचा, घावों का धीरे-धीरे भरना, अत्यधिक प्यास लगना, विशेष रूप से रात में बहुत अधिक पेशाब आना, संक्रमण, बालों का झड़ना टाइप 2 डायबिटीज के आम लक्षण हैं. वहीं, टाइप 1 डायबिटीज में लोग मतली, पेट दर्द, उल्टी जैसे लक्षण भी महसूस करते हैं.

2.शुगर के शुरुआती लक्षण कैसे होते हैं?

मधुमेह के लक्षण लगातार पेशाब आना अधिक प्यास लगना या डिहाइड्रेशन भूख ज्यादा लगना वजन कम होना थकान चक्कर आना धीरे-धीरे घाव भरना संक्रमण या त्वचा की समस्या

 

 

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